Thursday, 28 September 2017

SIP in Hindi, SIP क्या है?

SIP in Hindi SIP क्या है? जिन्हें शेयर बाजार Share Market के विषय में अधिक जानकारी नहीं है उनके लिए SIP के द्वारा निवेश करना ही बेहतर तरीका है जिससे निवेशक का जोखिम कम हो जाता है. SIP  निवेश एवं बचत की ऐसी पद्धति है जिसके अंतर्गत कोई भी निवेशक एक निश्चित अंतराल में एक निश्चित राशि अपने निर्धारित शेयर Shares अथवा म्यूचुअल फण्ड Mutual Fund में निवेश करता रहता है. Gold यानि सोने जैसी कमोडिटी में भी SIP द्वारा निवेश किया जाता है. SIP द्वारा निवेश करने से अनुशासित तरीके से निवेश करना आसान हो जाता है तथा निवेश का जोखिम भी कम हो जाता है.


SIP यानि Systematic Investment Plan हिंदी में कहेंगे व्यवस्थित निवेश योजना. मगर मैं इसे क्रमबद्ध निवेश योजना कहना चाहूँगा. SIP जिसे सिप भी कहा जाता है में एक बराबर समय के अंतराल में, एक बराबर राशि एक ही मद में निवेश की जाती है. मान लीजिये की एक निवेशक के पास पचास हजार रुपये है निवेश करने के लिए तो वह इन्हें एक ही दिन निवेश ना करके SIP में पांच हजार प्रति माह के हिसाब से दस माह तक निवेश करते हैं.
कोई भी निवेशक SIP के द्वारा शेयर बाजार Share Market, म्यूचुअल फण्ड Mutual Fund अथवा Gold ETF में निवेश कर सकता हैं. निवेश का अंतराल प्रति दिन, प्रति सप्ताह अथवा प्रति माह रखा जा सकता है. सैलरी पेशा लोगों के लिये यह निवेश का एक आसान उपाय है. हर माह अपनी सैलरी से कुछ बचत करके नियमित और अनुशासित ढंग से बड़ा निवेश किया जा सकता है. किसी भी म्युचुअल फण्ड में एडवांस चैक दे कर अथवा ऑनलाइन निर्देश दे कर सिप शुरू किया जा सकता है. SIP रु 500 प्रति माह जैसी छोटी राशि से भी करवाया जा सकता है.
SIP निवेश का एक बेहतरीन तरिका है. यहाँ हम सिप निवेश के फायदे बता रहे हैं:
छोटा निवेश छोटी राशि निवेश के लिए निकालना आसान होता है. लम्बे समय तक छोटी छोटी राशि का निवेश आपको बड़े रिटर्न दे सकता है.
रिस्क में कमी SIP का सबसे बड़ा फायदा यही है. मान लीजिये किसी निवेशक के पास पचास हजार रुपये शेयर मार्किट में निवेश के लिए हैं. उसने इन्हें बाजार में एक साथ लगा दिया. अगले दिन बाजार ऊपर जाएगा अथवा नीचे कोई नहीं जानता. यही निवेश यदि थोड़े थोड़े अंतराल में बाँट कर किया जाए तो रिस्क में कमी आ जाती है.
निवेश में आसानी सिप में निवेश ऑनलाइन निर्देश दे कर किया जा सकता है. निश्चित तारीख को म्यूचुअल फण्ड आपके खाते से निशचित राशि लेकर आपके चुने हुए प्लान में निवेश कर देता है.
आपको एक किस्सा सुनाते हैं. रमेश और राजेश दो दोस्त हैं. दोनों ने अपनी अपनी पत्नियों को वादा किया कि अगली शादी की सालगिरह पर सोने का हार ले कर देंगे. रमेश पूरे साल इंतज़ार करते रहे कि जब सोना सस्ता होगा तब लेंगे. कई बार सोना सस्ता भी हुआ मगर रमेश को लगाता कि सोना अभी और सस्ता होगा. रमेश हार नहीं ले पाए और साल गिरह पर जो कीमत थी उसी पर हार लेनी पड़ा.
राजेश ने पहले महीने से ही गोल्ड ETF में SIP निवेश शुरू कर दिया. जब जब सोने की कीमत कम हुई राजेश का निवेश हो जाता था. आप अंदाज लगा सकते हैं की हार की कीमत किसने ज्यादा ज्यादा दी होगी. अंत में आपने प्यासे कौवे की कहानी तो सुनी होगी. जिसके घड़े में पानी कम था और उसने छोटे छोटे पत्थर डाल कर घड़ा भर दिया और पानी पी लिया. SIP मुख्य रूप से शेयर मार्किट Share Market में छोटी छोटी राशि को नियमित रूप से अनुशाशन के साथ म्यूचुअल फण्ड Mutual Fund द्वारा निवेश करने का आसान तरिका है. आशा है कि SIP in Hindi पढ़ने के बाद आपको समझ आया होगा कि सिप क्या है और कैसे काम करता है.

ELSS in Hindi, ELSS क्या है

ELSS – Investment in Mutual Fund with Tax Saving. ELSS म्यूचुअल फण्ड में निवेश के साथ टैक्स में बचत.

ELSS in Hindi, ELSS क्या है? ELSS यानि Equity Linked Savings Scheme इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम एक डाइवर्सिफाइड diversified इक्विटी फण्ड है जो अपने अधिकतम कार्पस को इक्विटी में निवेश करता है. ELSS, इनकम टैक्स के अनुछेद 80C के अंतर्गत आने वाली बहुत ही लोकप्रिय स्कीम है जिसमें टैक्स की बचत भी होती है तथा निवेशित पूँजी में भी वृद्धि होती है. इस स्कीम में तीन साल का लॉक इन पीरियड होता है. निवेश से पहले इस योजना को समझ लेना बहुत आवश्यक है.

निवेश आपको म्यूचुअल फण्ड Mutual Fund  के बारे में तो पता ही होगा. ELSS एक ऐसा म्यूचुअल फण्ड Mutual Fund है जिसमें निवेश के साथ साथ टैक्स में बचत भी कर सकते हैं.  ELSS ईएलएसएस एक डायवर्सिफाइड diversified इक्विटी म्यूचुअल फंड होता है जो अपने Corpus कोष का अधिकतर भाग इक्विटी में निवेश करता है. डायवर्सिफाइड diversified का मतलब हुआ की यह फण्ड अलग अलग उद्योगों और आकार की कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है जिससे कि फण्ड में विविधिता बनी रहे. यहाँ यह समझना आवश्यक है कि निवेश में जीतनी अधिक विविधिता होगी उतना ही जोखिम कम होगा. चूंकि यह एक इक्विटी फंड है, ELSS ईएलएसएस फंड से रिटर्न इक्विटी बाजार से रिटर्न दर्शाते हैं। बेहतर फण्ड मेनेजर आपको बाजार से भी बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.
डिविडेंड तथा ग्रोथ अन्य सभी इक्विटी म्यूचुअल फण्ड Equity Mutual Fund  योजनाओं की तरह ELSS में भी डिविडेंड तथा ग्रोथ के विकल्प मिलते है.
निवेशकों को ग्रोथ विकल्प में 3 वर्ष की समाप्ति पर एक मुश्त राशि मिलता है। दूसरी ओर, लाभांश के विकल्प में, निवेशकों को नियमित रूप से लाभांश आय, जब भी लाभांश फंड द्वारा घोषित किया जाता है, यहां तक कि लॉक-इन अवधि के दौरान भी मिलती है।

लॉक इन पीरियड
 इस योजना के अंतर्गत निवेश पर तीन साल का लॉक इन पीरियड रहता है अर्थात आप जब इस योजना में निवेश करते हैं तो तीन साल तक अपने निवेश को भुना नहीं सकते. क्यूंकि अधिकतर शेयर बाजार में लम्बी अवधि के लिए ही निवेश करना फायदेमंद रहता है इसलिए तीन साल में आपको अच्छा खासा रिटर्न मिलने की संभावना बन जाती है. आप ELSS में SIP के द्वारा भी निवेश कर सकते है जिससे निवेश करना आसान हो जाता है तथा निवेश का जोखिम भी कम हो जाता है.
टैक्स में छूट आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत एक वित्तीय वर्ष में अपने सकल कुल आय से अपने ELSS निवेश के 1 लाख रुपये तक कटौती के रूप में क्लेम कर सकते हैं. ELSS स्कीम से रिटर्न भी पूरी तरह करमुक्त हैं। टैक्स में छूट के लिए जितनी भी निवेश की अन्य योजनायें उपलब्ध हैं जैसे की बैंक डिपाजिट, NSC या PPF, ELSS सबसे कम लॉक इन पीरियड के साथ उपलब्ध है.

निवेश के लिए उपलब्ध योजनाओं में ELSS एक बेहतरीन Mutual Fund निवेश योजना है मगर शेयर बाजार  Share Market में निवेश की तरह इसमें भी उसी प्रकार जोखिम रहता है जैसा शेयर बाजार में रहता है. उम्मीद है की ELSS in Hindi आपको पसंद आया होगा और ELSS क्या है यह हिंदी में जानने में मदद मिली होगी.

Types of Mutual Funds in Hindi


Types of Mutual Funds in Hindi म्यूचुअल फण्डों के प्रकार :  आज हम समझेंगे कि म्यूचुअल फण्ड किस किस प्रकार के होते हैं और  इनकी कौन कौन सी श्रेणियां होती हैं. भिन्न भिन्न प्रकार  के म्यूचुअल फण्ड कहाँ और कैसे निवेश करते हैं और किस प्रकार के म्यूचुअल फण्ड में कितना रिस्क होता है. यह भी समझेंगे कि कौन सा म्यूचुअल फण्ड का प्रकार रिस्क फ्री होता है और किस में अधिक कमाई के मौके आ सकते हैं. अलग अलग तरह के म्यूचुअल फण्ड इस तरह डिजाईन कियी जाते हैं कि अलग अलग श्रेणी के निवेशक अपने जोखिम लेने की क्षमता, निवेश के लक्ष्यों, निवेश की अवधि और निवेश की राशी के अनुसार उनका चयन कर सकें.

ओपन एंडेड और क्लोज्ड एंडेड Open Ended Mutual Funds and Closed Ended Mutual Funds


म्यूचुअल फण्डों को हम मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं  ओपन एंडेड और क्लोज्ड एंडेड.

ओपन एंडेड योजना

ओपन एंडेड योजना में योजना अवधि के दौरान किसी भी समय निवेशक इकाइयों यानि यूनिट्स को खरीद या बेच सकता है. इसकी कोई  निश्चित मैच्योरिटी यानि परिपक्वता तिथि नहीं होती. आप जब आवश्यक हो अपने निवेश को भुना सकते हैं यानी ओपन एंडेड स्कीम में लिक्विडिटी अर्थार्थ तरलता रहती है. कुछ ओपन एंडेड फंड्स में लॉक इन पीरियड रहता है जैसे कि ELSS स्कीम. लॉक इन पीरियड के दौरान आप अपने यूनिट्स को रिडीम नहीं कर सकते. म्यूचुअल फण्डों की ओपन एंडेड फंड्स की श्रेणी में डेट फण्ड Debt Fund, लिक्विड फण्ड Liquid Fund, इक्विटी फण्ड Equity Fund और बैलेंस्ड फण्ड Balanced Fund आते हैं.
डेट फण्ड  Debt Fund में अधिकतर निवेश डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों और अन्य ऋण उपकरणों में किया जाता है. डेट फण्ड इक्विटी फण्ड के मुकाबले कम लाभ दे सकते हैं मगर कम जोखिम के साथ यह फण्ड एक निश्चित लाभ देने में सक्षम हो सकते हैं. एक स्थिर आय चाहने वालों के लिए यह फण्ड आदर्श हो सकते हैं.
लिक्विड फण्ड Liquid Fund कम समय के लिए यदि आपके पास पैसे पड़े हैं तो आप उन्हें यहाँ निवेश कर सकते हैं. लिक्विड फण्ड Short Term Debt Instruments यानि अल्पकालिक ऋण उपकरणों में निवेश करते हैं. लिक्विड फण्ड कम चार्जेज के साथ एक सुरक्षित निवेश का विकल्प प्रदान करते हैं.
इक्विटी फण्ड Equity Fund इक्विटी फण्ड शेयर बाजार में निवेश करते हैं. यह वो श्रेणी है जहां अधिकतर निवेशक म्यूचुअल फण्ड में निवेश करते हैं. हालाँकि छोटी अवधि इक्विटी फण्ड में निवेश जोखिम भरा हो सकता है मगर लम्बी अवधि में आप इन फंड्स में अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. इक्विटी फंड्स के कुछ मुख्य श्रेणियां हैं इंडेक्स फण्ड Index Fund, सेक्टोरल फण्ड Sectoral Fund, ईएलएसएस फण्ड ELSS Fund, Mid Cap Small Cap Fund मिड कैप स्माल कैप फण्ड और Diversified fund डाइवर्सिफाइड फण्ड. सभी प्रकार के इक्विटी फंड्स पर उनके निवेश के प्रकार, जोखिम और लाभ की संभावनाएं अलग  रहती हैं.
बैलेंस्ड फण्ड Balanced Fund कम जोखिम के साथ अधिक लाभ पाने की चाह रखने वाले निवेशकों के लिए इस प्रकार की योजनायें आदर्श हैं. बैलेंस्ड फण्ड पहले से निर्धारित अनुपात में इक्विटी और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इक्विटी में निवेश फण्ड को तेजी से बढ़ने में मदद करता है और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश फण्ड को  सुरक्षित विकास की तरफ ले जाता है.

क्लोज्ड एंडेड योजना

क्लोज्ड एंडेड योजना में केवल योजना की शुरुआत में जब  NFO यानि New Fund Offer जारी किया जाता है तभी निवेश कर सकते हैं. क्लोज्ड एंडेड योजना में एक मैच्योरिटी यानि परिपक्वता तिथि पहले से निर्धारित होती है. परिपक्वता तिथि से पहले क्लोज्ड एंडेड योजना से बाहर नहीं निकला जा सकता इसलिए कह सकते हैं कि क्लोज्ड एंडेड योजना में लिक्विडिटी अर्थार्थ तरलता नहीं होती है. क्लोज्ड एंडेड योजनाओं में मुख्य रूप से दो तरह के फण्ड होते हैं कैपिटल प्रोटेक्शन फण्ड Capital Protection Fund और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान Fixed Maturity Plan.
कैपिटल प्रोटेक्शन फण्ड Capital Protection Fund में मुख्य रूप से निवे
श की गई राशी को सुरक्षित रखते हुए लाभ कमाने के लिए निवेश किया जाता है. इस योजना में मुख्य रूप से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है मगर एक छोटा भाग इक्विटी में भी निवेश किया जाता है. इन फंड्स में कैपिटल को सुरक्षित रखने का दबाव रहता है और क्योंकि यह एक क्लोज्ड एंडेड योजना होती है इसीलिए केवल निश्चित समय अवधि तक ही निवेश किया जाता है इसलिए फण्ड मेनेजर के पास अधिक रिस्क लेने की संभावना ही नहीं रहती है.
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान Fixed Maturity Plan में पहले से मैच्योरिटी का समय निर्धारित रहता है और ऐसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है जो फण्ड की अवधि के साथ मैच्योर हो रहे हों. इस प्रकार के फंड्स में भी चार्जेज कम रहते हैं क्योंकि फण्ड मेनेजर को पहले से निर्धारित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना होता है और फण्ड प्रबंधन के लिए अधिक कुछ करने की संभावना ही नहीं बचती.
तो यह थी Types of Mutual Funds in Hindi म्यूचुअल फण्डों के प्रकार के बारे में हिंदी में समझने की कोशिश. आशा है कि अलग अलग तरह के म्यूचुअल फण्डों में कैसे निवेश किया जाता है और उनमें कितना जोखिम संभव है और कितनी लाभ की संभावनाएं यह सब समझ आ गया होगा.

List of Mutual Funds in Hindi

List of Mutual Funds in Hindi आज हम यहाँ भारत में म्यूचुअल फंडों की सूची हिंदी में उनकी वेब साईट लिंक के साथ नीचे दे। भारत में म्यूचुअल फंड एक ट्रस्ट की तरह काम करते हैं और इन्हें ‘ Asset Management Companies‘ कहा जाता है। प्रत्येक म्यूचुअल फंड (या एसेट मैनेजमेंट कंपनी) अलग उद्देश्यों के साथ विभिन्न म्युचुअल फंड योजनाओं की शुरूआत करती है.  The Association of Mutual Funds in India (AMFI) निवेशकों के हितों की रक्षा करती है.



एक्सिस एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Axis Asset Management Company Ltd.
बड़ौदा पायनियर एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Baroda Pioneer Asset Management Company Ltd.
बिड़ला सन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Birla Sun Life Asset Management Company Ltd.
बीएनपी पारिबा एसेट मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड BNP Paribas Asset Management India Pvt Ltd.
बीओआई एक्सा इनवेस्टमेंट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड BOI AXA Investment Managers Pvt Ltd.
केनरा रोबेको एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Canara Robeco Asset Management Company Ltd.
दाइवा एसेट मैनेजमेंट ( इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड Daiwa Asset Management (India) Pvt Ltd.
डॉयचे एसेट मैनेजमेंट ( इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड Deutsche Asset Management (India) Pvt.
Ltd.
एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड Edelweiss Asset Management Ltd.
एस्कॉर्ट्स एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड Escorts Asset Management Ltd.
FIL फंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड FIL Fund Management Private Ltd.
फ्रैंकलिन टेम्पलटन एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड Franklin Templeton Asset Management (India) Pvt Ltd.
गोल्डमैन Sachs एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड Goldman Sachs Asset Management (India) Pvt Ltd.
एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड HDFC Asset Management Company Ltd.
एचएसबीसी एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड HSBC Asset Management (India) Pvt. Ltd.
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड ICICI Prudential Asset Management Company Ltd.
आईडीबीआई एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड IDBI Asset Management Ltd.
आईडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड IDFC Asset Management Company Ltd.
इंडिया इंफोलाइन एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड India Infoline Asset Management Co. Ltd.
इंडियाबुल्स एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Indiabulls Asset Management Company Ltd.
आईएनजी इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ING Investment Management (India) Pvt. Ltd.
जेएम फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड JM Financial Asset Management Pvt Limited.
जेपी मॉर्गन एसेट मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड JPMorgan Asset Management India Pvt. Ltd.
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Kotak Mahindra Asset Management Company Ltd.
एलएंडटी इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट लिमिटेड L&T Investment Management Ltd.
एलआईसी म्युचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड LIC Mutual Fund Asset Management Ltd.
मिराए एसेट ग्लोबल इनवेस्टमेंट्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड Mirae Asset Global Investments (India) Pvt. Ltd.
मॉर्गन स्टेनली इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड Morgan Stanley Investment Management Pvt.Ltd.
मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Motilal Oswal Asset Management Company Ltd.
पीयरलेस फंड्स मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Peerless Funds Management Co. Ltd.
प्रामेरिका एसेट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड Pramerica Asset Managers Private Ltd.
प्रिंसिपल पीएनबी एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड Principal PNB Asset Management Co. Pvt. Ltd.
क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड Quantum Asset Management Company Private Ltd.
रिलायंस कैपिटल एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड Reliance Capital Asset Management Ltd.
रेलिगेयर एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड Religare Asset Management Company Private Ltd.
एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड SBI Funds Management Private Ltd.
सुंदरम एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Sundaram Asset Management Company Ltd.
टाटा एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड Tata Asset Management Ltd.
टॉरस एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड Taurus Asset Management Company Ltd.
यूनियन केबीसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड Union KBC Asset Management Company Pvt Ltd.
यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड UTI Asset Management Company Ltd.
यहाँ हमने आपको List of Mutual Funds in Hindi  भारत में म्यूचुअल फंडों की सूची हिंदी में एक ही स्थान पर एकत्र करके देने की कोशिश की है.

What is Mutual Fund in Hindi

Mutual Fund in Hindi म्यूचुअल फंड क्या है, आइये आज हिंदी में जानते हैं. यह कैसे काम करता है और क्या हैं इसके फायदे. ज्यादातर लोगों को म्यूचुअल फंड अथवा इस जैसे अन्य वित्तीय शब्दजाल सुन कर डर लगता है। आप बारीकी से इसे देखो तो म्यूचुअल फंड की बुनियादी बातों को समझने के लिए डरने की वास्तव में बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं है। इसलिए इसे समझाने के लिए एक बुनियादी सवाल का जवाब देना जरुरी है कि म्यूचुअल फंड क्या है?
                                                Mutual Fund in Hindi 

निवेशकों की एक बड़ी संख्या के द्वारा जमा पैसा एक म्यूचुअल फंड का निर्माण करता है जिसे एक फण्ड में डाल दिया जाता है। फण्ड मेनेजर इस पैसे को विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए अपने निवेश प्रबंधन कौशल का उपयोग करता है.  म्यूचुअल फंड कई तरह से निवेश करता है जिससे उसका रिस्क और रिटर्न निर्धारित होता है.
जब बहुत से निवेशक मिल कर एक फण्ड में निवेश करते हैं तो फण्ड को बराबर बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिसे इकाई या यूनिट Unit कहते हैं.
उदाहरण के लिये मान लीजिये कि कुछ दोस्त मिल कर एक जमीन का टुकडा खरीदना चाहते हैं। सौ वर्ग गज के जमीन के टुकडे की कीमत एक लाख रुपये है। अब यदि इस फंड को दस रु कि युनिट्स में बांटेंगे तो 10,000 यूनिट बनेंगे. निवेशक जितने चाहे उतने यूनिट अपनी निवेश क्षमता के अनुसार खरीद सकते हैं. यदि आपके पास केवल एक हज़ार रुपये निवेश के लिए हैं तो आप सौ यूनिट खरीद सकते हैं. उसी अनुपात में आप भी उस निवेश (जमीन के) मालिक हो गए.

अब मान लीजिये की इस एक लाख के निवेश की कीमत बढ़ कर एक महीने के बाद रुपये 1,20,000 हो गयी. अब इस निवेश के अनुसार यूनिट की कीमत निकाली जायेगी तो दस रुपये वाला यूनिट अब बारह रुपये का हो चुका है. जिस निवेशक ने एक हजार रुपये में सौ यूनिट खरीदे थे, बारह रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से अब उसका निवेश (100X12) रुपये 1200 हो चुका है.
एक निवेशक के रूप में आप द्वारा निवेश की गई राशि पर आधारित है कि आप कितनी यूनिट्स के मालिक हैं। इसलिए, एक निवेशक भी एक यूनिट धारक के रूप में जाना जा सकता है। इसमें से अर्जित अन्य आय के साथ-साथ निवेश के मूल्य में वृद्धि को लागू व्यय, भार और करों को घटाने के बाद यूनिटों की संख्या के साथ अनुपात में निवेशकों / यूनिट धारकों को बांट दिया जाता है।
इससे आप देख सकते हैं की एक निवेशक जो कि बड़ा निवेश नहीं कर पाता, उस के पास छोटे छोटे यूनिट्स में निवेश करने की सुविधा है.
इसके अलावा Mutual Fund म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यह है की एक निवेशक जिसे बाज़ार की अधिक जानकारी नहीं है वह अपना निवेश विशेषज्ञों के हाथ में छोड़ देता है. कहाँ, कैसे और कब निवेश करना है यह विशेषज्ञों निर्धारित करते हैं.
म्यूचुअल फंड कई तरीके से निवेश करते है. सबसे प्रमुख बांड तथा शेयर मार्केट्स हैं. इसके अलावा गोल्ड अथवा अन्य किसी माल (Commodities) में निवेश कर सकते है. फंड्स के कई प्रकार होते हैं जिन्हें उनके निवेश के अनुसार जाना जाता है. मुख्य हैं डेट, इक्विटी और बैलेंस्ड फण्ड. सबसे अधिक विविधिता इक्विटी फंड्स में पायी जाती है. Mutual Fund in Hindi के बाद आगे चल कर हम इन सब के बारे में अलग अलग विस्तार से जानेंगे. साथ ही सीखेंगे की NAV क्या है और इसे कैसे गिना जाता है.

NAV in Hindi, एनएवी क्या है

NAV in Hindi, एनएवी क्या है यह समझना आपके लिए बहुत आवश्यक है यदि आप Mutual Fund  म्यूचुअल फण्ड  में निवेश करना चाहते हैं.  जो लोग सीधे तौर पर Share Market शेयर बाजार में निवेश नहीं करना चाहते हैं अथवा उन्हें शेयर बाजार की जानकारी नहीं है वे लोग Mutual Fund म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर सकते हैं. Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने से आपका निवेश विशेषज्ञों के हाथ में रहता है और इस प्रकार आप शेयर बाजार में सीधे निवेश के रिस्क को कम कर सकते हैं.  आज हम यहाँ सीखेंगे कि Mutual Fund म्यूच्यूअल फण्ड में NAV क्या होता है, इसको कैसे गिनते हैं और इसका क्या महत्व है.

                                                          NAV क्या है?

सीधे सीधे शाब्दिक अर्थ करें तो Net Asset Value, या NAV का अर्थ है कुल संपत्ति का मूल्य. किसी भी Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में नेट एसेट वैल्यू , या एनएवी का मतलब  नकदी सहित पोर्टफोलियो के सभी शेयरों के बाजार मूल्य के कुल योग में से देनदारियों को घटाने के बाद बकाया जो भी बचे उसे इकाइयों की कुल संख्या से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है.

एनएवी फंड की प्रति यूनिट की कुल परिसंपत्ति मूल्य (खर्चे निकाल कर) है और हर दिन के कारोबार के अंत में उस फण्ड की एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) द्वारा इसकी गणना की जाती है। किसी भी दिन यदि उस Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड को समाप्त कर दिया जाए तो उस Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में यूनिट धारक को प्रत्येक यूनिट के बदले जो कीमत मिलेगी वही उस यूनिट का उस दिन का एनएवी होता है. एक तरह से कह सकते हैं कि एनएवी किसी भी म्यूचुअल फण्ड की यूनिट की बुक वैल्यू होता है.
Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में अधिकतर यूनिट की बेस वैल्यू 10 रुपये या 100 रुपये होती है. प्रत्येक कारोबारी दिवस में फण्ड के पोर्टफोलियो के बाजार मूल्य के अनुसार ही यूनिट का एनएवी घटता बढ़ता रहता है.
एनएवी का महत्व
एनएवी किसी Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड के यूनिट के ग्रोथ का परिचायक होता है. यदि आप किसी फण्ड में 12 रुपये प्रति यूनिट एनएवी पर निवेश करते हैं और एक साल बाद यदि उस यूनिट का एनएवी 15 रुपये प्रति यूनिट हो जाता है तो  उस फण्ड ने 25% ग्रोथ की है. यह धारणा गलत है कि कम एनएवी वाला Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड अच्छा रिटर्न देगा और ज्यादा एनएवी वाला फण्ड कम रिटर्न देगा. किसी भी फण्ड के एनएवी से भूतकाल में फण्ड ने कैसे रिटर्न दिया यह तो बता सकते हैं मगर भविष्य में वह फण्ड कैसा रिटर्न देगा यह एनएवी को देख कर नहीं बताया जा सकता.

Penny Stocks क्या होते हैं

पैनी स्टॉक्स Penny Stocks क्या होते हैं, पैनी स्टॉक्स Penny Stocks में निवेश करें या नहीं और यह क्यों कुछ निवेशकों की पहली पसंद हैं, आपको इनमें फंसना चाहिए या बच कर रहना चाहिए, हिंदी में विस्तार से. पैनी स्टॉक्स Penny Stocks आम तौर पर उन शेयरों को कहा जाता है जो शेयर बाजार में बहुत ही कम कीमतों पर उपलब्ध होते हैं. इनका नाम शायद पैनी स्टॉक्स Penny Stocks इस लिए पड़ा होगा क्योंकि अमेरिका में एक डॉलर से कम कीमत पर उपलब्ध शेयरों को पैनी स्टॉक कहते हैं. भारत में दस रुपये से कम कीमत पर ट्रेड होने वाले शेयरों को पैनी स्टॉक्स Penny Stocks कह सकते हैं.



पैनी स्टॉक्स Penny Stocks क्या होते हैं

जैसा कि हमने बताया पैनी स्टॉक्स Penny Stocks बहुत ही कम कीमत पर ट्रेड होने वाले शेयर होते हैं. यह शेयर आमतौर पर छोटी कंपनियों के होते हैं जिनकी पूँजी बहुत ही कम होती है, अधिक बड़ी टर्नओवर भी नहीं होती है और अधिकतर ये कम्पनियां घाटे में चलती हैं या बहुत ही कम प्रॉफिट पर चलती हैं. ऐसे शेयरों में कंपनी के प्रमोटर  या उनके प्रतिनिधि ही अधिकतर ट्रेडिंग में लगे रहते हैं. झूठी या सच्ची खबरें छपवा कर इन शेयरों के दाम बढ़ा दिए जाते हैं.   यह शेयर बहुत ही कम वॉल्यूम में ट्रेड होते हैं इसीलिए कह सकते हैं कि इन शेयरों में लिक्विडिटी की समस्या रहती है. कम कीमत के कारण कई बार निवेशक इन में फंस जाता है मगर किसी के कहने पर ऐसे शेयरों में निवेश करना जोखिम से भरा होता है.

पैनी स्टॉक्स Penny Stocks में निवेश करें या नहीं

पैनी स्टॉक्स Penny Stocks क्योंकि बहुत कम कीमत पर मिलते हैं तो फिर इन में निवेश करने की इच्छा निवेशकों में रहती है. इनकी कम समय में कीमत बढ़ने की संभावना भी अधिक रहती है. कोई शेयर कम समय में अधिक रिटर्न भी दे सकता है. उदाहरन के लिए  कोई शेयर आप दो रुपये में खरीदतें हैं और वह शेयर यदि तीन रुपये का भी हो जाता है तो समझ लीजिये आपका निवेश पचास प्रतिशत बढ़ जाता है. मगर ऐसी ट्रेडिंग में जोखिम बहुत हैं. अकसर कीमत बढ़ने पर ट्रेडर तो मौके पर ऐसे शेयरों से निकल जाते हैं मगर कीमतें फिर वापिस आ जातीं हैं और निवेशक हाथ मलता रह जाते है. कभी कभी पैनी स्टॉक्स Penny Stocks में कोई टर्नअराउंड शेयर भी मिल सकता है यानी ऐसे शेयर जो कि घाटे से लाभ की और जा रहे हैं. यदि वास्तव में आप ऐसे किसी शेयर को पहचान कर निवेश करते हैं तो यह एक अच्छा निवेश भी साबित हो सकता है.

ऐसी कंपनी जिसका पिछला इतिहास अच्छा रहा हो और कुछ ख़ास परिस्थितियों के कारण घाटे में चली गयी हो मगर कंपनी के माल की बाज़ार में मांग हो, बड़ी कैपिटल और अच्छी सेल हो तो निवेश करने का जोखिम कम रहता है. कई बार बड़ा लोन लेने के बाद कई कम्पनियां ब्याज के बोझ से घाटे में चली जातीं हैं. कुछ समय बाद लिए गए लोन से अपने उत्पादों का विस्तार करके कंपनी की फिर से प्रॉफिट में आने की संभावना होने लगती है.  ऐसी कंपनियों के शेयर को टर्नअराउंड शेयर कह सकते हैं.
यदि आप नए निवेशक हैं और शेयर बाजार के नए खिलाडी हैं तो पैनी स्टॉक्स Penny Stocks या चवन्नी शेयरों से दूर ही रहें. यदि आप पुराने और जानकार निवेशक हैं तो टर्नअराउंड शेयरों की पहचान करके ही निवेश करें. अपने कुल पोर्टफोलियो का एक छोटा सा हिस्सा ही इनमें लगायें क्योंकि इनमें जोखिम बहुत होता है.

Wednesday, 27 September 2017

What is Face Value in Hindi

शेयरों के संदर्भ में यह जानना और समझना बहुत आवश्यक है कि फेस वैल्यू क्या है किसी शेयर की वैल्यूएशन अथवा बाजार भाव से इसका क्या सम्बन्ध है. यहाँ हम यह भी समझेंगे की किस तरह यदि शेयर स्प्लिट Split होता है तो इसका शेयर की फेस वैल्यू पर क्या असर पड़ता है और शेयर के स्प्लिट होने पर उसके बाजार भाव पर क्या असर पड़ सकता है.

What is Face Value in Hindi 


फेस वैल्यू Face Value यानी अंकित मूल्य शेयर की वास्तविक कीमत होती है जो कि शेयर प्रमाण पात्र पर अंकित रहती है. यदि अबस कंपनी की कुल शेयर पूँजी दो करोड़ रुपये है और वह दस रुपये प्रति शेयर के बीस लाख शेयर जारी करती है तो दस रुपये अबस कंपनी के शेयर की फेस वैल्यू यानी अंकित मूल्य होगी. फेस वैल्यू को पार वैल्यू Par Value या केवल पार भी कहते हैं.

अब यदि अबस कंपनी का शेयर बाजार में सूचित Listed होने के बाद मांग बढ़ने के कारण शेयर बाजार में बढ़ कर रुपये 15 हो जाता है तो अब इसे प्रीमियम वैल्यू या अबव पार Above Par कहेंगे. और यदि शेयर की बाजार कीमत घट कर आठ रुपये रह जाती है तो इसे डिस्काउंट वैल्यू Discount Value या बिलो पार Below Par  कहेंगे. दस रुपये के शेयर की कीमत यदि बाजार में भी दस रुपये ही है तो इसे एट पार At Par कहेंगे.
अक्सर शेयर खरीदते समय खरीददार शेयर की फेस वैल्यू चैक नहीं करते. ध्यान दीजिये की यदि ए कंपनी का एक रुपये फेस वैल्यू का शेयर बीस रुपये में बिक रहा है और बी कंपनी का दस रुपये फेस वैल्यू का शेयर बीस रुपये में बिक रहा है तो इसका क्या मतलब होगा? इसका मतलब यह होगा कि ए कंपनी का शेयर अपनी फेस वैल्यू से बीस गुना कीमत पर बिक रहा है और बी कंपनी का शेयर अपनी फेस वैल्यू से दो गुना कीमत पर बिक रहा है. यानि ए कंपनी का शेयर बी कंपनी के मुकाबले अधिक प्रीमियम पर बिक रहा है.

कंपनी अपने शेयर की फेस वैल्यू को बदल भी सकती है. कम्पनियां अपने शेयर को स्प्लिट Split यानी विभाजित कर उसके फेस वैल्यू को बदल सकती है. कल्पना कीजिये की यदि आपके पास अबस कंपनी के दस रुपये फेस वैल्यू के सौ शेयर हैं और उनका बाजार भाव पचास रुपये प्रति शेयर है. कंपनी अपने शेयरों को स्प्लिट करके उनकी फेस वैल्यू को पांच रुपये प्रति शेयर कर देती है. ऐसी स्थिती में कम्पनी आपके दस रुपये फेस वैल्यू वाले सौ शेयरों को पांच रुपये फेस वैल्यू के दो सौ शेयरों में परिवर्तित कर देगी. अब आपके शेयर का बाजार भाव भी कम हो कर पच्चीस रुपये प्रति शेयर के आस पास  हो जाने की संभावना है.
अधिकतर स्प्लिट होने के बाद शेयरों का बाजार भाव उसी अनुपात में नहीं घटता जिस अनुपात में फेस वैल्यू घटती है. इसीलिए संभावना है की इस उदहारण में स्प्लिट होने के बाद शेयर की बाजार कीमत पच्चीस रुपये से अधिक होगी.  अक्सर कम्पनियाँ अपने शेयरों की बाजार में कीमत बहुत अधिक हो जाने पर शेयरों को स्प्लिट करतीं हैं जिससे उनके शेयरों की कीमत छोटे निवेशकों की पहुँच में रहे और वे इन शेयरों में निवेश कर सकें.

What is Book Value in Hindi

शेयर की बुक वैल्यू क्या है और यह फेस वैल्यू  और शेयर की बाजार कीमत से कैसे अलग है और इससे  कंपनी की सेहत का कैसे पता चलता है? हिंदी में विस्तार से.

What is Book Value in Hindi

यह समझ लेना भी बहुत आवश्यक है कि किसी शेयर की बुक वैल्यू क्या है. कह सकते हैं कि शेयर की वास्तविक वैल्यू या मूल्य उसका फेस वैल्यू ना हो कर उसका बुक वैल्यू है.  शेयर खरीदने से पहले शेयर के बाजार भाव की तुलना उसकी बुक वैल्यू से अवश्य करनी चाहिए. आम तौर पर बड़ी बुक वैल्यू को कंपनी के अच्छे आर्थिक सेहत की निशानी माना जाता है.

बुक वैल्यू वास्तव में कंपनी के खातों में वह वैल्यू है जो की किसी कंपनी को यदि बेचा जाए तो उसकी संपत्तियों से देनदारियां घटा कर प्रति शेयर कितना भुगतान प्राप्त होगा. किसी शेयर की बुक वैल्यू उसकी शेयर कैपिटल और जनरल रिज़र्व के जोड़ को कुल शेयरों की संख्या से विभाजित करके भी प्राप्त किया जा सकता है.





इसे एक उदाहरण से समझते हैं. यदि अबस कंपनी के दस रुपये प्रति शेयर के एक करोड़ शेयर हैं यानी उसकी  दस करोड़ रुपये की शेयर कैपिटल से शुरुआत हुई है. अब एक साल बाद अबस कंपनी को दो करोड़ रुपये का लाभ हुआ है तो कंपनी की संपत्ति एक साल बाद बारह करोड़ रुपये हो जायेगी. उसी प्रकार दो करोड़ का लाभ (माना कंपनी ने कोई लाभांश नहीं दिया है) जनरल रिज़र्व में जुड़ जाएगा. अब शेयर कैपिटल और जनरल रिज़र्व के जोड़ यानी बारह करोड़ को जब शेयरों की संख्या यानी एक करोड़ से विभाजित करेंगे तो प्रति शेयर शेयर बुक वैल्यू बारह रुपये प्राप्त होगी. इसी प्रकार प्रति वर्ष जब कंपनी लाभ या हानी  कमाती जायेगी तो शेयर की बुक वैल्यू बढ़ती या घटती  जायेगी.
आम तौर पर शेयर बाजार में किसी शेयर की कीमत उसकी बुक वैल्यू से अधिक होती है क्योंकि निवेशक भविष्य में होने वाले लाभ की संभावना को देखते हुए शेयरों की खरीद करते हैं. कई बार यदि कंपनी प्रीमियम पर शेयर जारी करती है तो उस प्रीमियम को भी जनरल रिज़र्व में जोड़ दिया जाता है.
यदि किसी शेयर की बुक वैल्यू यदि उसके फेस वैल्यू  से बहुत अधिक है तो इसका मतलब है की कंपनी के पास जनरल रिज़र्व बहुत बड़ा है, ऐसे में उस कंपनी के बोनस शेयर जारी करने की संभावना भी हो सकती है. जनरल रिज़र्व पिछले सालों के प्रॉफिट या बेचे गए शेयरों के प्रीमियम से बनाता है.

BVPS Ratio : 
किसी शेयर के बाजार कीमत और बुक वैल्यू के अनुपात को BVPS Ratio कहते हैं. इससे निवेशक बाजार में शेयर के बढ़ सकने की संभावना का अंदाज लगाते हैं. BVPS यानी Book Value Per Share. इसकी गणना शेयर के बाजार भाव को शेयर की बुक वैल्यू से विभाजित करके प्राप्त की जाती है. बारह रुपये बुक वैल्यू के शेयर की कीमत यदि बाजार में चौबीस रुपये है तो उसका BVPS ratio 24/12=2 होगा.

IPO in Hindi – IPO क्या है

IPO क्या है आईपीओ के बारे में आसान हिंदी में यहाँ समझाने की कोशिश करते हैं। IPO के बारे में आपको यदि कोई आशंकाएं हैं या आप जानना चाहते हैं कि आईपीओ क्या है और इसकी क्या प्रक्रिया होती है तो इसे हम समझने की कोशिश करते हैं। आईपीओ में निवेश करना चाहिए या नहीं और यदि करें तो क्या क्या ध्यान रखें यह भी देखेंगे।

IPO यानि Initial public offering या आसान हिंदी में कहें तो प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निजी कंपनी अपने शेयरों की बिक्री आम जनता को सार्वजनिक तौर पर कर सकती है यह एक नई, युवा कंपनी या एक पुरानी कंपनी हो सकती है जो एक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का फैसला करती है और इसलिए यह सार्वजनिक हो जाती है। यहाँ किसी कंपनी के सार्वजनिक होने या पब्लिक होने का मतलब है कि अब इस कंपनी के शेयर आम लोगों को जारी किये जा सकते हैं और ये लोग इन्हें शेयर बाजार में खरीद और बेच सकते हैं।

आईपीओ की सहायता से कंपनियां सार्वजनिक रूप से नए शेयर जारी करके इक्विटी पूंजी बढ़ा सकती हैं या मौजूदा शेयरधारक कंपनी की पूंजी बढ़ाये बिना अपना शेयर जनता को बेच सकते हैं। सरकार भी आईपीओ के द्वारा पब्लिक सेक्टर कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी पब्लिक को बेच सकती है। यदि कंपनी अपना बिजनेस बढ़ाना चाहती है तो लोन लेने के बजाये आईपीओ पूँजी जुटाने का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। मगर इसके लिए प्रोमोटरों में यह आत्मविश्वास भी होना चाहिए कि कंपनी बढ़ी हुई पूँजी से ऐसा व्यवसाय कर पाएगी कि उस बढ़ी हुई पूँजी पर बेहतर रिटर्न दे पाए। पूँजी जुटाने के बाद इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि बढ़ी पूँजी की मदद से कंपनी की ग्रोथ कई गुना बढ़ जायेगी। आईपीओ फेस वैल्यू पर भी हो सकता है और प्रीमियम वैल्यू पर भी।



इसे एक उदाहरन से समझते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी जो कि अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं है और उसकी पूँजी एक करोड़ रुपये है। अब कंपनी अपनी पूँजी को बढ़ा कर दस करोड़ करना चाहती है। कंपनी नौं करोड़ रुपये का आईपीओ ले कर आएगी। इसका मतलब हुआ की आईपीओ के बाद कंपनी के प्रमोटरों के पास एक करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास उस कंपनी के नौं करोड़ रुपये के शेयर होंगे। एक और उदाहरन लेते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी की पूँजी दस करोड़ रुपये है और सभी शेयर प्रमोटरों के पास हैं। अब प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी को पचास प्रतिशत कम करना चाहते हैं तो वे आईपीओ द्वारा ऐसा कर सकते हैं। इस उदहारण में आईपीओ के बाद प्रमोटरों के पास पांच करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास भी पांच करोड़ रुपये के शेयर होंगे। पहले उदाहरन में नौं करोड़ रुपये कंपनी के पास जायेंगे और उसकी पूँजी एक करोड़ से बढ़ कर दस करोड़ हो जायेगी। दूसरे उदाहरन में पांच करोड़ कंपनी के प्रमोटरों के पास जायेंगे और कंपनी की पूँजी आईपीओ के बाद भी दस करोड़ ही रहेगी।
आपको बता दें कि जो कंपनी अपने शेयरों की पेशकश करती है उसे ‘जारीकर्ता’ यानी इशुअर कहा जाता है। कम्पनियां अपना IPO निवेश बैंकों की मदद से जारी करतीं है। आईपीओ के बाद कंपनी के शेयरों का खुले बाजार में कारोबार होता है उन शेयरों को सेकेंडरी मार्किट के माध्यम से निवेशकों द्वारा ख़रीदा और बेचा  जा सकता है। यहाँ यह जानकारी दे दें की आईपीओ में शेयर की बिक्री को प्राइमरी मार्किट में बिक्री कहा जाता है और सूचीबद्ध होने के बाद शेयर मार्किट में शेयरों की बिक्री को सेकेंडरी मार्किट में बिक्री  कहा जाता है।
आईपीओ जारी करने वाली कंपनी इसके लिए प्रॉस्पेक्टस prospectus जारी करती है। निवेश से पहले इसे सावधानी पूर्वक पढ़ लेना चाहिए। प्रॉस्पेक्टस में कंपनी और आईपीओ के बारे में सारी जानकारी दी जाती है। इसे पढ़ कर आप समझ सकते हैं कि कंपनी बढ़ी हुई पूँजी का प्रयोग कहाँ करेगी। इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि कंपनी अपनी बढ़ी हुई पूँजी से बेहतर रिटर्न जुटा पाएगी या नहीं। निवेश करने से पहले प्रोमोटरों का पिछला रिकार्ड भी देखिये और आईपीओ पर विशेषज्ञों की राय भी जानिये।

Tuesday, 19 September 2017

सेंसेक्स क्या है Sensex in Hindi

सेंसेक्स क्या है और इसे कैसे गिनते हैं, इसका स्टॉक मार्किट में क्या महत्त्व होता है आसान हिंदी में विस्तार से जानिये.
सेंसेक्स क्या है Sensex in Hindi और इसे कैसे गिनते हैं? जब आप शेयर बाजार Share Market में निवेश करने के बारे में सोचते हैं या उसके बारे में जानना चाहते हैं तो सबसे पहले यही सवाल सामने आता है कि यह सेंसेक्स Sensex क्या होता है और इसका शेयर बाजार Share Market में क्या महत्त्व है? Sensex in Hindi – Sensex, Sensitive Index  यानि संवेदी सूचकांक का संक्षिप्त रूप है. मुम्बई स्टाक एक्सचेंज Mumbai Stock Exchange का संवेदी सूचकांक जिसे संक्षेप में बीएसई 30 (BSE 30) या बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex)  भी कहा जाता है,  वहां के सर्वोच्च 30 शेयरों पर आधारित है।
यदि आप शेयर बाजार की जानकारी लेना चाहते हैं तो यह जानना बहुत आवश्यक है कि सेंसेक्स क्या है और इसे कैसे गिना जाता है. कोशिश करूँगा कि सेंसेक्स क्या है और इसे कैसे गिनते हैं इसकी जानकारी आपको आसान हिंदी में दूं. यहां आपको यह बता दें कि यह 30 शेयरों की सूची समय समय पर बदलती रहती है तथा मुम्बई शेयर बाजार आवश्यक्ता के अनुसार इस सूची में बदलाव करता रहता है मगर सूचकांक में कुल शेयरों की संख्या तीस ही रहती है।

Sensex in Hindi सेंसेक्स  :
एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स (एस एंड पी बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक), मुम्बई शेयर बाजार में सूचीबद्ध 30  स्थापित और आर्थिक रूप से मजबूत कंपनियों के एक मुक्त फ्लोट बाजार भारित शेयर बाजार सूचकांक (free-float market-weighted stock market index) है।  BSE में से सबसे बड़े और सबसे सक्रिय रूप से कारोबार करने वाले  शेयरों में से ऐसी  30 कंपनियों को लिया जाता है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
1 जनवरी 1986 के बाद से प्रकाशित, एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स भारत में घरेलू शेयर बाजारों की नाड़ी के रूप में माना जाता है। एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स का आधार मूल्य 1 अप्रैल 1979 के दिन से 100 के रूप में लिया और 1978-1979 इसका आधार वर्ष है।
यहां आपको यह बता दें कि यह 30 शेयरों की सूची समय समय पर बदलती रहती है तथा बीएसई आवश्यक्ता के अनुसार इस सूची में बदलाव करता रहता है मगर सूचकांक में कुल शेयरों की संख्या तीस ही रहती है।
कैसे गिनते हैं सेंसेक्स :
जैसे कि मैनें बताया कि सेंसेक्स free-float market-weighted stock market index है. फ्री फ्लोट का आसान हिंदी में अर्थ होगा तैरने के लिए आजाद. किसी भी कंपनी के बाजार पूंजीकरण Market Capitalization का वह हिस्सा जो बिकने के लिए बाजार में उपलब्ध हो सकता है  वह फ्री फ्लोट बाजार पूँजी होगी और उसी के आधार पर सेंसेक्स की गणना की जाती है. आम तौर पर प्रमोटरों का हिस्सा अथवा सरकार का हिस्सा पूँजी में से निकाल दें तो बाकी बची पूँजी बाजार में बिकने के लिए उपलब्ध हो सकती है.
Market Capitalization अथवा बाजार पूंजीकरण क्या है?
इसे Market Cap या बाजार पूँजी भी कह सकते हैं. इसे कंपनी द्वारा कुल जारी शेयरों की संख्या को प्रति शेयर बाजार भाव से गुना करके प्राप्त किया जा सकता है.  यदि एक कंपनी ने  दस दस रुपये कीमत के एक लाख शेयर जारी किये हैं तो कंपनी की पूँजी हुई दस लाख रुपये. अब यदि इस कंपनी के एक शेयर की बाजार में कीमत साठ रु है तो कंपनी की Market Cap या बाजार पूँजी साठ लाख होगी.
बाजार पूँजी = कुल बकाया शेयर X प्रति शेयर बाजार भाव
1,00,000 X रु 60 = रु 60,00,000
अब यदि इस कंपनी में प्रमोटरों का हिस्सा 40 %  है और पब्लिक का हिस्सा 60%  है तो इस कंपनी में फ्री फ्लोट फैक्टर होगा 0.6 .  यानि इंडेक्स की गणना के लिए इस कंपनी के बाजार पूँजी का 60%  हिस्से का ही असर माना जाएगा.
इस प्रकार से पूरे इंडेक्स का free float market capitalization निकाला जाता है और उसे इंडेक्स विभाजक (index divisor) से विभाजित कर दिया जाता है. यह इंडेक्स विभाजक 1978-1979 के आधार वर्ष की बाजार पूँजी में हुई बढ़त पर आधारित होता है.
मान लीजिये आधार वर्ष में बाजार पूँजी थी 50000 और जिस दिन का इंडेक्स गिनना है उस दिन की बाजार पूँजी है 12000000 है तो इंडेक्स विभाजक होगा 100/50000 और इंडेक्स की गणना होगी 12000000 x 100/50000 = 24000.
यह मेरी कोशिश थी Sensex in Hindi में समझाने की.  उम्मीद है कि आपको समझ आ गया होगा कि सेंसेक्स क्या है और इसे कैसे गिनते हैं. यदि आपको सेंसेक्स के बारे में कुछ जानकारी होगी तो शेयर बाजार Share Market के काम को समझने में आसानी होगी.

Monday, 18 September 2017

NIFTY in Hindi निफ्टी क्या है

NIFTY in Hindi, निफ्टी क्या है? निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक है. निफ्टी क्या है और इसे कैसे गिनते हैं इस बारे में हिंदी में लेख.

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NIFTY in Hindi, निफ्टी क्या है और इसे कैसे गिनते हैं? निफ्टी नेशनल  स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध 50 प्रमुख शेयरों का सूचकांक है. निफ्टी दो शब्दों को मिला कर बना है NATIONAL और FIFTY. इससे यह प्रतीत होता है कि निफ्टी शब्द नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध सर्वोच्च पचास शेयरों पर आधारित है. निफ्टी की चाल से आपको बाजार की चाल का हाल मालूम हो जाता है. यदि निफ्टी में तेजी है तो आप मान सकते हैं कि बाजार में भी तेजी है. यदि निफ्टी में गिरावट है तो आप मान सकते हैं कि बाजार में भी गिरावट है.  हालाँकि निफ्टी केवल पचास शेयरों की कीमत के आधार पर ही गिना जाता है फिर भी निफ्टी की दिशा बाजार की दिशा का  भी संकेत देती है.


BSE तथा NSE भारत के प्रमुख शेयर बाजार हैं जहां शेयरों की ट्रेडिंग होती है. सेंसेक्स तथा निफ्टी इनके प्रमुख सूचकांक हैं.

सेंसेक्स क्योंकि 30 शेयरों पर आधारित है और निफ्टी 50 शेयरों पर आधारित है तो हम कह सकते हैं की निफ्टी बाजार की चाल का व्यापक तरीके से प्रतिनिधित्व करता है. यह पचास शेयर 22 अलग अलग उद्योगों से लिए गए हैं.

सेंसेक्स की ही तरह निफ्टी भी मुक्त फ्लोट बाजार भारित शेयर बाजार सूचकांक (free-float market-weighted stock market index) है. किसी भी कंपनी के बाजार पूंजीकरण Market Capitalization का वह हिस्सा जो बिकने के लिए बाजार में उपलब्ध हो सकता है  वह फ्री फ्लोट बाजार पूँजी होगी और उसी के आधार पर निफ्टी की भी गणना की जाती है.
मुक्त फ्लोट बाजार भारित शेयर बाजार सूचकांक (free-float market-weighted stock market index)  में इंडेक्स की कैसे गणना की जाती है गणना का पूरा तरीका आप Sensex in Hindi पर देख सकते हैं. निफ्टी का आधार वर्ष 1995 है और आधार अंक 1000 है. इस सूचकांक की गणना 3 नवम्बर 1995 से की जाती है और इस दिन सूचकांक का आधार 1000 माना गया है.
आज यदि निफ्टी का मूल्य 8000 के करीब है, तो इसका मतलब यह है कि निफ्टी के शेयरों की कीमत  1995 के मुकाबले अब तक 800% तक बढ़ चुकी है.
यह मेरी कोशिश थी Nifty in Hindi में समझाने की.  उम्मीद है कि आपको समझ आ गया होगा कि निफ्टी क्या है और इस का क्या महत्व है

SIP in Hindi, SIP क्या है?

SIP in Hindi SIP क्या है? जिन्हें शेयर बाजार Share Market के विषय में अधिक जानकारी नहीं है उनके लिए SIP के द्वारा निवेश करना ही बेहतर तरीका...

 

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